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नियम २३४-समिति का
गठन-
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अध्यक्ष द्वारा
नाम-निर्देशित १५ से अनधिक सदस्यों की एक याचिका समिति होगी:-
परन्तु कोई
मंत्री समिति के सदस्य नियुक्त नहीं किये जायेंगे और यदि कोई सदस्य मंत्री नियुक्त
किये जायं तो वे ऐसी नियुक्ति की तिथि से समिति के सदस्य नहीं रहेंगे।
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नियम २३५- याचिका
किसको सम्बोधित की जाय और कैसे समाप्त की जाय-
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प्रत्येक याचिका
सदन को सम्बोधित की जायेगी और जिस विषय से उसका सम्बन्ध हो उसके बारे में याचिका
देने वाले के निश्चित उद्देश्य का वर्णन करने वाली प्रार्थना के साथ समाप्त होगी ।
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नियम २३६- याचिकाओं
की व्याप्ति-
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अध्यक्ष की सम्मति
से निम्न पर याचिकायें उपस्थित या प्रस्तुत की जा सकेंगी-
(१) ऐसा विधेयक जो
नियम ११४ के अन्तर्गत प्रकाशित हो चुका हो या जो सदन में पुरःस्थापित हो चुका हो,
(२) सदन के सामने
लम्बित कार्य से सम्बन्धित कोई विषय, और
(३) सामान्य लोक
हित का कोई विषय परन्तु वह ऐसा न होः-
(क) जो भारत के
किसी भाग में क्षेत्राधिकार रखने वाले किसी न्यायालय या किसी जांच न्यायालय या किसी
संविहित न्यायाधिकरण या प्राधिकारी या किसी अर्ध-न्यायिक निकाय या आयोग के संज्ञान
में हो,
(ख) जिसके लिए विधि
के अन्तर्गत उपचार उपलब्ध है और विधि में नियम, विनियम, उप विधि सम्मिलित हैं जो
संघ या राज्य शासन या किसी ऐसे प्राधिकारी द्वारा बनाया गया हो जिसे ऐसे नियम,
विनियम आदि बनाने की शक्ति प्रत्यायोजित हो।
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नियम २३७- याचिका का
सामान्य प्रपत्र-
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(१) प्रत्येक
याचिका सम्मानपूर्ण, शिष्ट और संयत भाषा में लिखी जायेगी।
(२) प्रत्येक
याचिका हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि में होगी और उस पर याचिका देने वाले के
हस्ताक्षर होंगे।
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नियम २३८- याचिका के
हस्ताक्षरकर्ताओं का प्रमाणीकरण-
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याचिका के प्रत्येक
हस्ताक्षरकर्ता का पूरा नाम और पता उसमें दिया जायेगा और वह विधिवत प्रमाणीकृत
होगा।
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नियम २३९- किसी
याचिका के साथ दस्तावेज नहीं लगायेजायेंगे-
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किसी याचिका के साथ
कोई पत्र¸ शपथ-पत्र या अन्य दस्तावेज नहीं
लगाये जायेंगे।
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नियम २४०-
प्रतिहस्ताक्षर-
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(१) प्रत्येक
याचिका किसी सदस्य द्वारा उपस्थापित एवं प्रतिहस्ताक्षरित होगी।
(२) कोई सदस्य अपनी
ओर से याचिका उपस्थापित नहीं करेंगे।
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नियम २४१- उपस्थापन
की सूचना-
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सदस्य प्रमुख सचिव
को याचिका उपस्थित करने के अपने मन्तव्य की कम से कम दो दिन की पूर्व सूचना देंगे।
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नियम २४२- याचिका का
प्रपत्र-
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याचिका उपस्थित
करने वाले सदस्य अपने को निम्न रूप के कथन तक ही सीमित रखेंगे:-
"मैं
...........................................के संबंध में याचिका देने वाले (लोगों)
द्वारा हस्ताक्षरित याचिका उपस्थित करता हूं। "
और इस कथन पर किसी वाद-विवाद की
अनुज्ञा नहीं होगी।
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नियम २४३- याचिका के
उपस्थापन के बाद प्रक्रिया-
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(१) प्रत्येक
याचिका इन नियमों के अधीन उपस्थित किये जाने के उपरान्त समिति को जांच के लिये
निर्दिष्ट की जायेगी।
(२) जांच के
उपरान्त समिति, यदि आवश्यक हो, तो यह निर्देश दे सकेगी कि याचिका सविस्तार अथवा
संक्षिप्त रूप में परिचालित की जाय।
(३) परिचालन और
साक्ष्य, यदि कोई हों, के उपरान्त समिति के सभापति या समिति के कोई सदस्य याचिका
में की गयी विशिष्ट शिकायत और इस विशिष्ट मामले में प्रतिकारक उपायों या भविष्य में
ऐसे मामले रोकने के लिये सुझाव सदन को प्रतिवेदित करेंगे।
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